तौबा!
वो इश्क था
या
फुटबॉल का मैदान!
पेशेवर खिलाडी की तरह
खेली तुम
सारे दाँव-पेंच आजमाए
और छका-छका कर
मुझे थका दिया
फिर
चारों खाने चित्त होकर
बेबसी से मैं देखता रह गया
और तुमने बेरहमी से
गोल कर डाला
अब हम
'हैती' के नौसिखिये खिलाड़ी की तरह
अवाक् होकर सोच रहे हैं :
'अभी हममें बहुत सुधार की ज़रूरत है'
('हैती' फुटबाल खेलने वाला दुनिया का १२० वां देश है... यानि सबसे अंतिम'. यह हमारे स्कूली दिनों का सामान्य ज्ञान था)
2 टिप्पणियाँ:
वाह...क्या बात है भाई...नया प्रयोग है, अच्छा लगा...
नीरज
hmmm
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