पिता : मुंह फेरे हुए एक स्कूटर

उँगलियाँ मेरी उतनी ही मुडती हैं 
जितना अलाव तापते वक्त, तुम्हारी 
उतनी ही जितनी, आरोप लगाते वक़्त, तुम्हारी
उम्म्म... हथेलियों से आंसू पोछते वक़्त !
(हल्के से हँसते हुए)  गोया किस्मत की धारियों में रोना लिख रहे हो जैसे 

तुम्हारी खाल ओढ़ ली है 
वक़्त रोज़ देता रहता है उँगलियों की चोट 
मैं सुर बदल-बदल कर बजता रहता हूँ 
नए, कसे ढोल की तरह

सोचता हूँ 
समय रहते भर लूँ प्रीमियम सारे बीमा पोलिसी का 
रीटायर्मेंट ले नौकरी से बैठें दो दोस्त
खोलें सारे पन्ने 
जो व्यस्क होने तक प्रतिबंधित थे
जिनके अतीत में अपमान की गांठें हैं 

आओ ज़रा सा तुम्हारे एडियों से निकाल दूँ काँटा 
कि जिसकी पिछले चवालीस सालों से जिसकी तुम्हें आदत हो गयी है 
और बंटवारे, जिम्मेदारियों और अबूझ समझौतों से एक तरफ कंधे झुक गए हैं

आओ ग्लास में उडेलें थोड़ी सी शराब
कि अब तो तुम्हारे शर्ट भी मुझको होने लगे हैं, जूते भी 
कि पड़ोस का बच्चा मुझे अंकल कह बुलाने लगा है 

तुम खोलो ना राज़ 
कि किस लोहे ने तुम्हारी तर्जनी खायी थी
कि दादी के बाद वो कौन है जीवित गवाह
जिसने तुम्हें हँसते देखा था आखिरी बार
(अब तुम्हारा गिरेबान पकड़ कर पूछता हूँ)
बाकी साल तो रहने दिया 
पर मुंह फेरने से पहले यह तो बता दो
कि पचहत्तर, चौरासी, इक्यानवे, सत्तानवे और निन्यानवे में कौन - कौन सा इंजन तुमपे गुज़रा ?

आओ ग्लास में उडेलें थोड़ी सी शराब
और करें बातें ऐसी कि जिससे खौल कर गिर जाए शराब.

पिता : समाधान में प्रथम पुरुष

जब हम करीब आकर एक-दूसरे से बातें करते हैं. 
किसी समस्याओं को सुलझाने में हमारे नाक मित्रतापूर्ण प्रतिद्वंदी की तरह बगलगीर होते हैं.
मैं रणभूमि में तुम्हारे अनुभव की तलवार से बिजली बन कौंधता हुआ 
सबके सिर काट लाता हूँ 
और हार जाता हूँ

संकटों से निथारना रहा हो 
या बारिश में, पार्क में बेंच के नीचे सो जाना हो
ट्रेन के बाथरूम में सफ़र रहा हो 
या कल्पना कि जादुई कालीन पर उड़ना 
मैंने प्रेमिका के तरह जिद की 
और तुम बियाबान जंगल से ऑर्किड ले आये
प्रथम पुरुष तुम हर रूप में हुए.

मैं मरीज़ बन,
बीते कुछ सालों से तुम्हें स्टेशन पर छोड़ लौट रहा हूँ 
यूँ लगता है जैसे किसी हस्पताल से किडनी निकाल सड़क पर लुढका दिया गया हूँ
तुम्हारे हाथों पर इस मौसम ने झुर्रियां उगाई हैं 
यह मुझे अपने खेत की याद दिलाता है 
जैसे जून के अंतिम सप्ताह में पहली बारिश के बाद की खिली धूप
और मिटटी का भुरभुरा हो जाना
तुम्हें याद तो है,
पर क्या तुम्हें याद रहेगा ?

हद यह है कि तुम भी मेरे से यही सवाल करते हो. 

पिता : अयोग्य श्रेणी के श्रेष्ठ पुरुष




जब तुम सोये रहते हो चादर में लिपटे हुए बेसुध से, 
मुंह हल्का सा खुला रहता है 
और थोडा सा लार तकिये से ढलक जाता है 
तुम इस लोक में नहीं लगते हो.

थकान की पराकाष्टा में गहरे डूबे खर्राटे की आवाज़ आती है.
किसी नाटे कद के रिक्शेवाले की तरह लगते हो 
जिसने हाँफते हुए हाफ पैडल मार - मार कर रिक्शे को गंतव्य तक पहुँचाया हो
लेकिन मुझे यह कहने में तनिक भी गुरेज़ नहीं कि 
तुम बहुत गरीब आदमी हो... 

यह तुम्हारा कहना होगा कि तुम सताए हुए हो 
तुम्हारे चिकने से माथे पर जाने कितने शिकनें हैं जो तुम मुझसे छुपाते हो. 
        (माथे पर पगड़ी बाँधी जा सकती है,  बाजू नहीं)

तुम धोती पहनते हो तो एक पल के लिए सभ्य हो जाते हो 
एक आदर्श धर्मपिता की प्रतिमूर्ति...
तुम्हारी शारीरिक भाषा कुलीनों की सी लगती है 
एक प्रकाशमान दिव्य मणि का आकर्षण 

लेकिन जिस पल तुम बेबस होते हो बहुत दयनीय हो जाते हो.
तुमसे बड़ी निर्दयता ज़माने ने दिखाई है. 
यह तुम्हारा सच होगा.

हुआ है ऐसा भी कि तुम्हारे स्पर्श में था 
सर्द श्वेत बर्फ के बीच थोडा सा गाय का पीला, गर्म पेशाब जैसा तत्त्व
जिसपर धूप गिरती थी तो दिन ताप चढ़ता था
पीठ का दोहरा हो जाना समझा है 
धनुष सा लचीला होना देखा है.
और चौड़ी छाती पर चढ़े हुए अनाज को सीझते चखा है.

निर्विवाद बहस नहीं किया जा सकता तुमपे 
मैं सोच सकता हूँ कि तुमको ओढ़ लूँ, पहन लूँ, 
कुरेद कर तुममें वो सारे गुण निकाल लूँ जो छिपे रह गए 
जिसे तुमने किसी महान लक्ष्य को फलित होने के वास्ते अपने में संजोये रखा.. 
जो अलक्षित  रह गए
जो सध नहीं सके 

आज जब मैं बहुत गहरे असफलता की तली में बैठा 
एक अभागे पिता पर कविता लिख रहा हूँ 
तो कल आक्षेप लगने की संभावनाएं भी बढ़ जायेंगी
मैं नहीं लिख सकता तुम्हें दुनिया का सबसे अच्छा पिता
सबसे अच्छा आदमी
सबसे ईमानदार व्यक्तित्व 
सबसे योग्य प्रेरणाश्रोत

बहिष्कृत अयोग्य श्रेणी के श्रेष्ठ पुरुषों में तुम भी एक हो 
आज जब तुम देखना चाहते हो बहुत बेचारगी से मेरी तरफ 
किसी उम्मीद (दया) में तो 
सावधान ! मेरे पिता 
तुमने बागी पैदा किया है
एक क्षण के लिए भी मत भूलना 
कि तर्क, सत्य और बुद्धि की कसौटी पर सबसे पहले 
तुम्ही कसे जाओगे 
और यही तुम्हारी पहली और आखिरी सफलता होगी.