हमने प्यार को धोखे से चरस खिलाया था

जब भी ज़मीन भारी लगे
हफ्ते भर सर दर्द तारी रहे
गैलन गैलन आंसू रो 
और वो आसमान में घुलता लगे

कोई आहट चुपचाप गुज़रा करे
गौरैये की चहचाहट में उनके कंठ सूखे लगे
गुस्से में कविता लिखने बैठो तो 
सालता सा प्रेम गीत लिखा करो

सहेलियों संग कोफी पीते हुए
गायब हो चुके मुहासों के तार पकड़ 
बगल वाली आंटी 
तुम्हारी बढती उम्र के बायस सवाल पूछा करे 

सो कर उठते ही थकान महसूस हो
जीभ को बुखार हुआ करे
डेरी मिल्क देख मुझे तुम्हारी कमर की महक याद आये
तुम्हारे लिबास का कोई धागा उधडे तो
मेरे कुरते का बटन याद आया करे
गिरती शाम में जलाऊं अगरबत्ती तो 
अफीम रोशन हुआ करे 

नुक्कड़ पर खाओ गोलगप्पे तो 
गैस लाइट के पीछे मैं खुल्ले पैसे जोड़ता दिखाई दिया करूँ
तब पागल हो
जाम लगे चौराहे पर के हर ऑटो में चढ़ना
मारी मारी फिरना

हमने प्यार को धोखे से चरस खिलाया था
रोज़ पूल पे उबकाई करता दीखता है

मैंने आज छक कर शराब पी 
और बहुत तबियत से तुम्हारे हिस्से की भी नमाज़ पढ़ी