मधुरमिलन


मधुरमिलन....

इतिहास शीशे की पारदर्शिता,

भविष्य अधरों की मुस्कान
वर्त्तमान उदीप्त दीपक,

धैर्य के...


क्षण-क्षण अक्षुण पल,

अविभाज्य प्रेमोपहार,

सर्वस्व काव्यमय


शब्द, अलंकार, आभूषण

कोमल, सौम्यता, वैराग्य

पूर्णिमा शताब्दी बाद

अग्नि, नीले ज्वाला सी।


ब्रह्माण्ड वायु से विरल,

निर्वात, अमर ज्योति !


प्रेम मधुरमिलन....

---- सागर...

नयनाभिराम

नयनाभिराम
नेत्र तुम्हारे,
सृष्टी स्थित हरेक प्रजाति के
पुष्प रस से निर्मित,
मदिरा- मिश्रित....

जो मद्दपान करे

मदिरा की लालसा त्याग दे

पाश!

असंभव चक्रव्यूह से निकला
सुंदरता की पराकाष्ठा...

हो तुम!!!!!

----सागर...

कमनीय

कमनीय तुम दुर्लभ

चंदन, तुलसीपत्र, मृदा प्रस्फुटित मणि

उपर्युक्त समर्पण !

अधर, दंत पंक्ति,

सुलझे रेशम के रेशे

जैसे केश सज्जा


भावः-विह्वल पुष्प


तन की सुगन्धित ऊष्मा

अस्तित्व का लोप,

मेरा लोप


कमनीय,

तुम दुर्लभ !!!!!

-----सागर