आसमान में चमकते थे
दो तारे एक साथ
एक मुखर था; दूसरा मद्धम
नियमित समय पर उग आते दोनों
विपरीत आवेश वाले थे
मद्धम वाला सितारा अब टिमटिमाने लगा था
... परस्पर प्रेम उपज आया
वक़्त बदला,
अत्यधिक निकटता से आने लगा
दोनों में सामान आवेश
नाभिक में विकर्षण होने लगा...
आजकल दोनों ध्रुवों पर उगते है
अब
आसमान का संतुलन बना रहता है!!!
विद्वान इसे आजकल फिजिक्श का पाठ्यक्रम बताते हैं...
1 टिप्पणियाँ:
Wow....emotions with science....interesting...msg convey hua
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