आईने-अक्स

ऐ- आईना

वो आईना दिखा गया मुझे,

मेरी कई सूरतें बता गया मुझे

ज़ज्बात में तोह पाकीज़गी ही थी

फिर कौन बददुआ दे गया मुझे

वो आए तोह रेशम के मौसम आए

अलविदा कहा, तो मौत से मिला गया मुझे

जिंदगी कभी इतनी पुरसुकून न थी

फूल की मानिंद जुल्फों में लगा लिया मुझे

होठ खुलते थे तोह फूल गिरते थे

सज़ा दे गई तेरी हर अदा मुझे

वो लड़की, वो लड़की सिर्फ़ वही लड़की

गई मेरी रूह से मिला मुझे
------- सागर

1 टिप्पणियाँ:

दीपक बाबा said...

सज़ा दे गई तेरी हर अदा मुझे


क्या याद आये
पता नहीं......
पर बहुत कुछ याद आया सागर...

बेहतरीन.... इस आशा के साथ की गोते लगता रहूँगा सोचालय के इतर भी......