कविता आना चाहती है



कविता आना चाहती है

कविता आना चाहती है...
एक विशाल भू भाग से उठ कर, सघन क्षेत्र में
यह विविध रंगों का मिश्रण हो एकाकार होना चाहती है.
सातो रंग मिलकर श्वेत होना चाहती है.

ऐसा नहीं है कि कविता लिखी नहीं जा रही इन दिनों 
कविता आ रही है 
जिसके आगमन का वेग तीव्र है
मगर इस थपेड़े में हम स्वयं गुमशुदा की तलाश में हैं

कविता इन दिनों 
कई शक्लों में आ रही है 
इनमें कविताओं ज्यादा कवियों का अपना बनाव श्रृंगार है.

कविता आ रही है 
मगर इसकी गति हमें कहीं पहुंचा नहीं रही 
इन दिनों कविता मेट्रो रूट की ट्रेन पकड़ने जैसी है
जहां हर स्टेशन यात्रा की शुरूआत है.
आप किसी भी पंक्ति से शुरू कर सकते हैं 
आप कहीं भी खत्म हो सकते हैं
(फिर चाहे मैं भी क्यों न होऊं)

कविताएं आ रही है इन दिनों भी, 
लेकिन शिल्प कुछ यूं है कि किसी महाकवि ने प्रणेता बन
महाकविता लिखी और 
अंतिम पंक्ति में  एक कोष्ठक डाल (....) उसे रिक्त छोड़ दिया
महज युवा कवियों से ही नहीं भाषा के जानकारों से उम्मीद की गई थी कि
कविता अपने शिल्पों में समृद्ध होगी।

महाशय,
नहीं मंतव्य था उसका और 
ना ही कहा था कहा भी था तो इस संदर्भ में नहीं कि 
रिक्त स्थानों की पूर्ति करो.

मगर आज कविता उसी रिक्त स्थान की पूर्ति करता ज्ञात होता है.

मित्रों 'अ' पर हाथ घुमाते घुमाते अब यह वर्ण मोटा हो चला है.

11 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय said...

कविता बहती है तो बह जाने दें।

मनोज कुमार said...

वर्तमान में कविता आती ही है .. और आती चली जाती है।

vandana gupta said...

यही कविता की परिणति है कि उसे बहने दो…………जितना बहेगी उतनी पुष्ट होगी।

रवि कुमार, रावतभाटा said...

कविता इन दिनों
कई शक्लों में आ रही है
इनमें कविताओं ज्यादा कवियों का अपना बनाव श्रृंगार है.

वाह हुज़ूर...

Kailash Sharma said...

बहुत सार्थक प्रस्तुति..

amitesh said...

इनमें कविताओं ज्यादा कवियों का अपना बनाव श्रृंगार है.
इसमें 'से' लगा दें बीच में...कविता के वर्तमान दौर पर सार्थक टिप्पणी है.

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

ऐसा नहीं है कि कविता लिखी नहीं जा रही इन दिनों
कविता आ रही है
जिसके आगमन का वेग तीव्र है
मगर इस थपेड़े में हम स्वयं गुमशुदा की तलाश में हैं


kavita ko aane dijiye, khud ko talaashte rahiye.....

achhi rachna..

Pawan Kumar said...

कविता के सृजन की छटपटाहट को महसूस कराती इस पोस्ट को पढ़ कर सुकून हुआ.....

Dr (Miss) Sharad Singh said...

आपने अपनी कविता के कैनवास पर सच का रंग बिखेर दिया है....

वीना श्रीवास्तव said...

बहुत सार्थक रचना है....
बहुत बढ़िया....

Amrita Tanmay said...

सुन्दर रचना,सार्थक रचना