हठात !
दृश्य देखा मस्तिष्क बुद्धिमान
वास्तविकता,
मरुभूमि में यत्र-तत्र गिरती
बिजली
विप्र! क्या प्यास
उन्मत्त, बेकल
पारस रेखा
हरे नोट में चांदी धागा
पहचान
वेद, उपनिषद प्रकाण्ड विद्वान
स्वांग, प्रदर्शन, अर्पण
पुनश्च:
घूर्णन
समर्पण
सर्वश्व समर्पण
शमशान
स्वागत उदघोष
निर्लज्ज ! निर्लज्ज !
15 टिप्पणियाँ:
वास्तविकता,
मरुभूमि में यत्र-तत्र गिरती
बिजली
.....
.....
अभी कई बार आना होगा इस तत्त्वज्ञान समझने के लिए...
lagta hai bahut kuch seekhne milega yahan...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
पहचान
वेद, उपनिषद प्रकाण्ड विद्वान
स्वांग, प्रदर्शन, अर्पण
पुनः श्च
घूर्णन
समर्पण
सर्वश्व समर्पण
शमशान
स्वागत उदघोष
निर्लज्ज ! निर्लज्ज !
bahut khub
shandar kavita
shkaher kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
ये क्या है भईया !
पहले ’पुनः श्च’ को सुधारिए ! आना पड़ेगा फिर !
पहचान
वेद, उपनिषद प्रकाण्ड विद्वान
स्वांग, प्रदर्शन, अर्पण
पुनः श्च
घूर्णन
समर्पण
सर्वश्व समर्पण
शमशान
स्वागत उदघोष
इस कविता को पढ़ते सांस रुकी ही है ...
अपने तो कुछ पल्ले नहीं पड़ा.काफी कठिन तत्व ज्ञान है :)
दो बार पढ़ी ... शब्दों की खाई गहरी कम ना हुई :-)
न समझ पाने वाले लोगो मे हमहू है.. :) साला आजतलक कोई तत्व ज्ञान हमारे पल्ले नही पडा..
वैसे एक ओवर मे एक बाउन्सर अलाउड है.. ;)
लगता है गिरिजेश जी की बाजीगरी का प्रभाव आ रहा है...
अभी तो तत्वज्ञान में माथापच्ची करते हैं...
आपसी लिंको को तराशते हैं...
शमशान
स्वागत उदघोष
निर्लज्ज ! निर्लज्ज !
गर यही आत्मसात हो तो मानव...योगी न हो जाए ...
vakai hi sir ...bahut padhkar hi kuch palle pad jaye to bahut!
वाकई पूर्ण तत्वज्ञान..तभी मुझ अज्ञानी मानव से सर पर से गुजर गया..पुष्पकयान की तरह..काव्यप्रगल्भता बढ़ती जा रही है आपकी..सब तत्वज्ञानी के लक्षण हैं..
Gudh hai kisi comment se bhi koi hint nahi mila shayad apse baat karke koi baat bane.
:)
poora samajhne mein abhi waqt lagega... kuch sabhdon se kuch marm jana...
बहुत ऊंची बात है इसमें सिरीमान जी।
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