कवि कह गया है -9



बचपन, मिथक
चाँद- मामा, बुढिया, चरखा, सूत,
गोदी, लोरी.

मीठी लड़की, मिसरी धडकन,
सीने और तकिये की बातचीत,
करवट, रतजगे, फुर्सती वादे,
खत, चाँद, चोकलेट, बहलावा,
राख !

डर, बीमारी, अतीत
यादें, अनहोनी
धोखा, बुखार

सपने, कारनामे, कीर्ति,
क्रांति, बदलाव, स्वर्णिम भविष्य,
गौरवशाली इतिहास
देश, आधारशिला

कुपोषण, न्याय
कुर्ते, कुर्सी,
गिरफ़्तारी, भूख, यातना
स्टेशन, डंडा, कुर्की-जब्ती, जेल
-.......- मुजरिम !!!

नौकरी, महीना, वेतन, जीवन- शैली,
पुरखें, संदूक, विरासत
रिश्वत, दलाली,
आटा-दाल, मसाला, सब्जी

भांग-शराब, ब्लू फिल्म,
पसीना, औरत, देह गंध, गर्माहट, संसर्ग सुख
बेहिसाब गिनती के सिर

अकाल, बाढ़, ठिठुरन, जून
कटे गर तो नदारद खून
आलीशान बंगला;
दकियानूस जंगला

जिंदगी ! यथार्थ, हालात, गवाही, भलाई, मजबूरी, ठीकरा

अक्सर हम अपने पूर्वाग्रहों के बल पर लिखते हैं कविता

कवि कह गया है - 8



साफ़ मझोले बर्तन में पानी का आकार लेना,
चलते-फिरते गायब हो जाना,
विदाई के आखिरी क्षणों में अपनी वसीयत कर देना,
अपने हाथों अपना अंतिम संस्कार करना,
जैसे तुमसे प्रेम करना.

किसी संप्रभु राष्ट्र के राजपथ पर मार्च करना,
सम्भोग के बाद संतुष्टि की मुस्कान आना,
घोर पाप के बाद ईश्वर के सामने अंतिम श्लोक का बुदबुदाना; त्राण माँगना
जैसे तुमसे प्रेम करना.

जीवन पर्यंत सपनों से पार ना पाना,
पाठशाला के मुख्य द्वार पर ठोकर खाना,
फनफनाती शराब में अपना जीवन गर्क करना,
फकीरों की तरह तीनो जहां दुआओं में देना,
कव्वाल का कव्वाली गाना,
जैसे तुमसे प्रेम करना.

जलती चिता से आग ले बीड़ी सुलगाना,
बागी का बगावत करना,
क्रांतिकारी का तत्कालीन समय में शहीद होना,
फिर इसे इतिहास की किताबों में पढ़ना
जैसे पुनः तुमसे प्रेम करना.

तत्वज्ञान


हठात !
दृश्य देखा मस्तिष्क बुद्धिमान  
वास्तविकता, 
मरुभूमि में यत्र-तत्र गिरती 
बिजली

विप्र!  क्या प्यास
उन्मत्त, बेकल 
पारस रेखा 
हरे नोट में चांदी धागा 

पहचान 
वेद, उपनिषद प्रकाण्ड विद्वान 
स्वांग, प्रदर्शन, अर्पण 
पुनश्च:
घूर्णन 
समर्पण 
सर्वश्व समर्पण

शमशान
स्वागत उदघोष
निर्लज्ज ! निर्लज्ज !

हिंसा


सच बताओ
बाहर जो शोर है 
उसमें तुम्ही हो ना ?

तुम्हीं थे ना !
उसकी पृष्ठभूमि में, कार्यान्वयन में,
और
अब बरपे क्रंदन में ?

मैं विश्वास दिलाता हूँ
नहीं काटे जायेंगे तुम्हारे हाथ, 
ना ही कोई कालापानी होगा
गर फांसी हुई तो कृपया मासूम बने रहना बस
... अभयदान मिल जायेगा.

तुमने कोई २ बरस की बच्ची के साथ बलात्कार थोड़े ही किया है ?

मैं  इस कृत्य के लिए तुम्हें 
हाशिये पर के लोगों की दुहाई नहीं दूंगा.
मुझे नहीं लगता कि
किसी जिम्मेदारी के एहसास के लिए 
तुम्हें कहीं से कमजोर किया जाये

पर यह बताओ 
वो जो ज़मीन पर हाथ पटक रहा है,
जिसे अभी बोलना तक नहीं आया,
जिसके मुंह से 
चुइंगम जैसे गिरते-गिरते लार 
हलक सुख गयी है.
औ'
आँखों में कोई दरया रुका पड़ा है...
इसके पीछे भी तुम्ही हो ना !

हुम्ह!
बेवजह लोग चित्रकार को पुरस्कृत करते हैं
असल में,
इन चित्रों को तो तुमने ही खींचा है.