कुछ को बोलने को उकसाया जा रहा है.
कुछ के लिए आनन-फानन में तय होती है प्रेस कांफ्रेंस
मुंह में ठूंस दिए जाते हैं ढेर सारी माईकें
...दोनों इसे पसंद करते हैं.
कुछ तयशुदा समय पर बोलते हैं
सभी पर कान रख कर सुने जा रहे हैं...
पहले सन्नाटे सुनते थे
अब शोर सुनने की होड़ लगी है !!!
...दोनों इसे पसंद करते हैं.
कुछ तयशुदा समय पर बोलते हैं
सभी पर कान रख कर सुने जा रहे हैं...
पहले सन्नाटे सुनते थे
अब शोर सुनने की होड़ लगी है !!!
या तो वो कुछ 'आग' कहना चाहते हैं
या हम कुछ 'आग' सुनना चाहते हैं...
कुछ आग लिखना चाहते हैं
और लिख भी रहे है
स्टाल पर उनके लिख्खे के लिए घमासान है.
इस बीच,
घुटने मोड़े वो लोग भी अंतिम पंगत मैं बैठे हैं
या हम कुछ 'आग' सुनना चाहते हैं...
कुछ आग लिखना चाहते हैं
और लिख भी रहे है
स्टाल पर उनके लिख्खे के लिए घमासान है.
इस बीच,
घुटने मोड़े वो लोग भी अंतिम पंगत मैं बैठे हैं
जो दरारों भरी ज़मीं से ऊपर ताकते बुझ गए
ऐसे, सुने जाने के इंतज़ार में नप जाते हैं...
ऐसे, सुने जाने के इंतज़ार में नप जाते हैं...
उनकी सुनने वाला कोई नहीं
वो कुछ 'आग' नहीं कहना चाहते
कुछ आह भरना चाहते हैं...
दिलचस्प है या के अफ़सोस
उनके लिए माईकें नहीं हैं अपने पास
और ना वक़्त ही.
मैं सियासत के गलियारे से होकर आया हूँ
फरमान जारी हुआ है उधर
वो कुछ 'आग' नहीं कहना चाहते
कुछ आह भरना चाहते हैं...
दिलचस्प है या के अफ़सोस
उनके लिए माईकें नहीं हैं अपने पास
और ना वक़्त ही.
मैं सियासत के गलियारे से होकर आया हूँ
फरमान जारी हुआ है उधर
देश किसान नहीं, जिन्ना चलाएंगे!!!
5 टिप्पणियाँ:
सागर भाई, उस 'आह' को माइक तक ले कर आने के लिए साधुवाद.
एक सार्थक रचना !
अँधेरे बंद कमरे का लेखक भोली उम्मीदों के साथ जिंदगी की गली में कदम रखता है ....ये सोचकर की अब इस गली में सूरज को खींच कर लायेगा .... ..फिर अंधेरो की इ एम् आई भरने में ताउम्र गुजारता है ....समझ रहे हो क्या कह रहा हूँ.......
अनुराग साहब,
समझ रहा हूँ आप क्या कह रहे हैं... रु-ब-रू होकर बात करेंगे कभी...
देश किसान नहीं, जिन्ना चलाएंगे!!!ये तयं करने के लिए किसानो के हाथ में वोट देने कि मुहर नहीं है या जिनके हाथ में थी भी तो उनकी समझ किसी और के यहाँ गिरवी रख दी गई थी....सुनने और सुनाने कि ..वह वही देने और महफ़िल लुटने कि होड़ है....कोंन जीतता है और कोंन हरता है इसका हिसाब कोंन रखे चलिए लीडिंग स्टोरी पर काम करते हैं...कम से कम पेट भरने कि रोटी तो मिलेगी..जिनके हाथ में माइक भी है लेकिन मुंह किसी ने रोटी से भर राखी है...
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