दो मकानों के बीच कोई हथकरघा रखा है
आसमान से उजले तागों के लच्छे गिरते हैं।
दीवार के कंधों पर बूंद गिरकर फूट जाती है
बारिश एक दुःख है
आलते का पौधा इसे नहीं समझता
घर में हुए अकाल मौत पर भी
बच्चे सा खिलखिलता रहता है
व्यस्क हो रहा तना
जीवन के दूसरे मायने भी समझता है
उम्रदराज कदम्ब से दर्द टपकता है।
लैम्पपोस्ट से अवसाद रिसता है।
सूखा ज़मीन जीवन सा है
जम रहा है चहबच्चों में पानी
दरकने लगता है कभी ठोस मानस पटल किसी के लिए
बारिश मनरंजन करती है।
अवरोधक के कारण हम जान पाते हैं बारिश का स्वर
वरना तो ये बेआवाज़ रोती है
इश्किया कविता में झंकार है बारिश
दर्द भरी कविता में अलंकार है
11 टिप्पणियाँ:
अर्थपूर्ण उत्कृष्ट रचना
बहुत बहुत बधाई
आभार
चाह धरती सी, प्रकृति बस बरसती रहे।
आज 08/008/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
धन्यवाद!
'ये बेआवाज़ रोती है'
बारिश को दुःख कहते हुए उसका रुदन भी सुना गयी कविता!
वाह!
वाह....
एक बेहतरीन कविता!!!!
अनु
तुम्हारी याद आयी जाने क्यों, तो चला इस जानिब । सुधरे नहीं हो अब तक... अलाय बलाय लिखे जा रहे हो
http://azdak.blogspot.in/2013/08/blog-post_18.html
एक सागर की गहराई की...एक कविता सुख की हो.
शब्द कि इस मर्म को .... मैं यूँ समझ कर आ गया …
अल्फाज पढ़ के यूँ लगा .... खुद से ही मिल के आ गया ....
बहुत खूब ....
बहुत सालों से ऐसा नहीं पढ़ा। ।
आपको सूचित करते हुए बड़े हर्ष का अनुभव हो रहा है कि ''लोकतंत्र'' संवाद ब्लॉग 'मंगलवार' ९ जनवरी २०१८ को ब्लॉग जगत के श्रेष्ठ लेखकों की पुरानी रचनाओं के लिंकों का संकलन प्रस्तुत करने जा रहा है। इसका उद्देश्य पूर्णतः निस्वार्थ व नये रचनाकारों का परिचय पुराने रचनाकारों से करवाना ताकि भावी रचनाकारों का मार्गदर्शन हो सके। इस उद्देश्य में आपके सफल योगदान की कामना करता हूँ। इस प्रकार के आयोजन की यह प्रथम कड़ी है ,यह प्रयास आगे भी जारी रहेगा। आप सभी सादर आमंत्रित हैं ! "लोकतंत्र" ब्लॉग आपका हार्दिक स्वागत करता है। आभार "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
kya baat hai bdi hi sunder likha hai apne thanks
तिरंगा फोटो
Post a Comment