बहुत सारे अच्छे गानों का पिक्चराइजेशन बुरा है।

सूरत दिखाने के लिए आईने के पार कोई अवरोधक चाहिए। मसलन बात बहुत छोटी सी है कि बॉस का फोन पर फील्ड में काम करते हुए डांटना जैसे स्टूडियो में बैठे एंकर से रिपोर्टर को मिली फटकार। यकायक साढ़े सात रूपए की बढ़ोतरी से पेट्रोल का और ज्वलनशील हो जाना और किसी निम्नमध्यमवर्गीय का अपना मोपेड फूंक देना। अर्थव्यवस्था के कच्चे जानकार का इस खबर को सुन दिली तसल्ली से भर जाना जैसे वैष्णव का मनाना कि लहसन, प्याज और गोश्त के दाम आसमान छूए। इसी क्रम में शराब को हाथ न लगाने वाले गुट का इस हसरत को पालना कि आगामी फरवरी मार्च में वित्त मंत्री का शराब, सिगरेट, पान मसाला और तम्बाकू में कम से कम पचास फीसदी का उछाल।

दस हज़ार अलय बिंबों वाली किताब में एक पैराग्राफ ऐसा जिससे वो प्रिय हो जाए, साढ़े चार घंटे की ब्लू फिल्म वाली डीवीडी में नायिका की एक विशेष भाव भंगिमा जो शरीर और सौंदर्यशास्त्र की कला सकारथ कर जाए। बेहद साधारण उपन्यास में एक पन्ने में बाप का गीली राख लगी देगची का चूल्हे पर चढ़े चावल का अदहन जांचना। बदतमीज़ लहजे में कुछ आत्मीय आवाज़ों की कौंध, लठ्ठमार भाषा में एकआध पंक्ति में प्रेम का अधिकार यूं कि दिल रीझ आए जैसे बहुत सारे मानसिक प्रदूषण के बीच भाषणों में भारत एक महान और विशाल देश है की पहली पंक्ति।

आगामी इतवार पालिका और जनपथ पर खरीदारी के मूड में निकलना हो तो रैपिड एक्शन फोर्स के जवानों का चुपचाप संसद मार्ग थाने पर उतरना। तभी बायीं ओर चीनी मिल के मजदूरों का बकाया भुगतान की मांग लिए पृथ्वी के आठवें महाद्वीप की ओर बढ़ना, इतवार के सिनेमा दर्शक के लिए यह एक बालकनी का टिकट है।

वहीं, बहुत सारे पिटे हुए फिल्मों का निर्माण सहृदयता से हुआ।

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