उसके लिए
तुम्हारा मेरे बीच होना भी जरुरी था
पर तुम निर्दयी की तरह आये
और सम्भोग के बाद मंद पड़े
मेरी रानों पर सुलगता सिगरेट मसल कर चले गए.
देखो, बहुत महान नहीं होता प्रेम
कि जिसकी मैं उपलब्धियां गिनवाता फिरूं
यह एक असुरक्षा से उत्पन्न सरकार के
‘परिवार कल्याण सम्बन्धी कुछ सूत्री कार्यक्रमों’ जैसा होता है
जिसे सभ्यता की डोर में पवित्र करने की कोशिश की जाती है.
जहां ‘खामखां राख में चिंगारी खोजने’ की उपमा
तुम्हारे जिज्ञासु और आशावान व्यक्तित्व का परिचय तो देती है
(दोस्त, यह परिचय नहीं. इससे भलीभाँति अवगत हूँ)
वहीँ मेरे लिए यह उपमा
मेरे नामर्द होने की जानकारी थी.
जंगल में आग लगती है तो
हवा के पास दो ही रास्ते होते हैं
चुप रहना या गुज़र जाना
...
और जंगल जलता है
हरियाली जलती है.
मेरे बाद, बूढ़े होने पर एक काम करना तुम
इन कविताओं को भी जला देना
और फिर लिखना एक खत
कि वो मानवता के लिए नहीं था
बल्कि उन अवांछित सपनों को
मैंने गिरा दिया है सम्बन्ध के बाद ठहरे
अनचाहे गर्भ की तरह.
और फिर रोपा है एक पौधा...
(...एक दोस्त के लिए)