महिमामंडन


कौन सा डर है आज मुफीद!!!
इस मुद्दे पर हम रोज़ बैठकें करते हैं...

हम एक लार टपकाती डब्बे में कैद हैं

अपने आई कार्ड से रौब जमाते,
फैंटसी पूरा करते,
जिंसी ताल्लुकात लिखते,
चटाखेदार खबरें छापते;
नहीं थकते हम...

हर दिन छापते/दिखाते हैं
मुद्दे से बड़ी रंगीन तस्वीर
चिकने, लंबे टांगों की

तुम बदसूरत लड़कियों में
हीन-भावना भरते हैं
फिर कुंठा ग्रस्तों को सुझाते है
किसी मसाज, पार्लर का विज्ञापन

बस बने रहो हमारे साथ
हम हर समाधान देते हैं

हम बहाने से बताते हैं
सिलिब्रिटी से अपने प्रगाढ़ रिश्ते...
नेताओं से मधुर मिलन...

हम पत्रकारिता कर रहे हैं...
... जिम्मेदारी से देश बर्बाद कर रहे हैं.

10 टिप्पणियाँ:

Udan Tashtari said...

.. जिम्मेदारी से देश बर्बाद कर रहे हैं.

-क्या अंदाज है देश बर्बाद करने का...जिम्मेदारी से!!

M VERMA said...

वाकई बखूबी जिम्मेदारी निभाई जा रही है

Renu goel said...

उन पर देश बर्बाद करने की जिम्मेदारी जो है सागर जी ....

ओम आर्य said...

हम छापते हैं लम्बी और नंगी टाँगे
और यह कह कर पल्ले झाड़ लेते हैं
कि यही बिकता है
उसी तरह जैसे
सामन पहले बना दिए जाते हैं
और फिर जरूरत पैदा कर दी जाती है

हम स्वीकार करते हैं
कि बाजार ने हमें दबोचा हुआ है
और फिर कह देते हैं कि बाजार ताकतवर है
और दो रुपये में बिसलेरी की एक घूँट पानी पीते हमें शर्म नहीं आती..

और कितनी अजीब बात है सागर भाई कि मैं आपके द्वारा कहे गए इस सच को कहूँगा कि बढ़िया कटाक्ष है...

लेकिन दरअसल मैं ये कहना चाहता हूँ कि मुझे भी इस सच के प्रदर्शन में शामिल करें...

Ambarish said...

हम पत्रकारिता कर रहे हैं...
... जिम्मेदारी से देश बर्बाद कर रहे हैं..

saarthak patrakaarita ki jarurat hai aaj...

Ambarish said...

हम पत्रकारिता कर रहे हैं...
... जिम्मेदारी से देश बर्बाद कर रहे हैं..

saarthak patrakaarita ki jarurat hai aaj...

गौतम राजऋषि said...

क्या कर रहे हैं सागर साब...अपने ही प्रोफेशन के खिलाफ़ मुहिम...

लेकिन दिल को छूती दिल तक पहुँचती कविता। ऐसी हर रचना में आपका "बेस्ट" झलकता है।

पारुल "पुखराज" said...

जिम्मेदारी से देश बर्बाद कर रहे हैं...
gazab hai..
jaante buujhtey ... magar ..kar rahey hain..

डॉ .अनुराग said...

ये क्या कन्फेशन है भाई ?

विजय गौड़ said...

मित्र आपके ब्लाग तक आज ही आना हुआ, सरसरी निगाह से ही देखा अभी। बहुत कुछ ऎसा है जिसे बाद में इतमिनान से पढ़ने का मन है। मेरी शुभकामनाएं।