बुद्धिजीवियों का दर्द


अपना ग़म इस कदर हावी हो गया ,
मुर्दे पर एक शाकाहारी सांप साँस ले रहा हो जैसे
हर घटना बेमानी हो गयी
किसी से कोई लेना-देना नहीं

खोलो कोई किताब तो
केवल लफ्जों का पुलिंदा बंधा हो
पैराग्राफ्स के दरमियाँ शब्दों का थक्का रखा हो

ये वही दौर है जिंदगी का
जब क्रांति बीते दिनों की बात हो गयी
खून ने उबलना बंद कर दिया
जोश ठंडा पड़ गया
और जवानी
कबड्डी के खेल में मात खा कर
फिर जिंदा होने की आस में
विरोधियों के पले बैठी है.

विवेक इस कदर हावी हो गया कि
जिंदगी प्रौढ़ हो गयी
और बुद्धिजीवी बुलाकर
हमारे अहम् की खुश कर दिया गया;
हाथ-पाँव बाँध दिए गए

हम सब प्रोफेशनल हो गए
चलते-फिरते विकलांग हो गए

1 टिप्पणियाँ:

vandana khanna said...

विवेक इस कदर हावी हो गया कि
जिंदगी प्रौढ़ हो गयी
और बुद्धिजीवी बुलाकर
हमारे अहम् की खुश कर दिया गया;
हाथ-पाँव बाँध दिए गए......