'लव कंफ्लिक्ट'


मेरा प्रेम-
बाली उम्र के कमसिन का सा था
बर्फ सा श्वेत,
...मातृत्व सा सत्य,
स्तनपान सा शुद्ध...

तुम्हारा प्रेम-
दुनियादार 'मर्द' सा...
जिसे अहसास था
...'बहारें फिर भी आयेंगी' का

क्या गज़ब ... ऊहापोह था

अब जबकि
तुमने
खेल दिए है आखिरी पत्ते...

मैंने बदल दिया इसे
...अकाल मौत में !!!

इश्क के शमशान में,
मुंतज़िर है वो लाश...
एक मुद्दत से-

फुर्सत मिले तो आओ कभी
कि
... यह लाश जले !

'मानसून' भिगो गया है अभी शव को,
वक्त लगेगा अभी इसे
...राख होने में !

1 टिप्पणियाँ:

Reshu said...

lagta hai jaise isma maine apni felling likhi hai. Bilkul yahi.shayad usi din ka intjaar hai.